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Tuesday 12 February 2019

मंजिल





मंजिल के बारे में कहा जाता है कि ये बड़ी देर से मिलती और कभी-कभी तो मिलती ही नही है /और जो मंजिल छोटे रास्ते पे चल के जल्दी मिल भी जाती है तो वो उस छोटे रास्ते की ही तरह छोटी होती है जिसका वजूद तो है पर उससे आप का वजूद नही बदलता 

कहते हैँ :-"हर मंजिल को पाना आसान नही होता 
                जिस राह पे मुश्किलें ना हो 
                हर बार उससे काम नहीं होता /
                हौसला बढ़ाने वाले राहगीर तो बहुत मिलेंगे 
                पर हर राहगीर क़दरदान नही होता /
                बिना मुश्किलों के एक रोज़ तुम जीत भी सकते हो 
                पर हर वक़्त मेहरबान नहीं होता '' /
                
मेहनत एक ऐसी चीज है जो आप को अपनी तरफ लुभाती है पर आप उससे दूर भागते हो यही वजह है के आप अपने रास्ते को लम्बा करते चले जाते हो- करते चले जाते हो और एक समय ऐसा आता है कि वो रास्ता आपके हौसलों से लम्बा होकर आपको थका डालता है /ऐसे मे आप अपनी मंजिल को पाना तो दूर उसके करीब तक नहीं पहुंच पाते हो /

              "मेहनत से मोहब्बत करना सीख ले राही 
               ये सब तेरे काम की चीज है /
               बिन मेहनत मंजिल और बिन बादल बारिश 
               ये सब बस नाम की चीज है /
               और अगर धोखे से मंजिल मिल भी जाये 
               तो ये तेरी नहीं तेरी नाकामी की जीत है /
               क्यों कि हर मंजिल को पाना आसान नही होता 
               जिस राह पे मुश्किलें ना हो 
               हर बार उससे काम नहीं होता '' /

लाख कोशिश करने पर भी कोई नतीजा ना निकले/ कड़ी मेहनत से भी फल ना मिले तो ये ना समझना कि तुम हार गए बल्कि यही देरी तुम्हे नया ज़ज़्बा देगी तुम्हे हौसला देगी तुम्हे अपने जज़्बातो पर काबू करना सिखाएगी /उसी मंजिल मे आराम होता है जिसके रास्ते पर कांटे होते हैँ और वही इन्शान उस काँटों भरे रास्तों पर चल सकता है जिसका हौसला बुलंद हो और दिल में कुछ करने का जज़्बा हो /

           "लाख कोशिश के बाद मिली नाकामी से परेशान मत होना /
            ये नाकामी नहीं बस देरी है इससे निराश मत होना /
            सारी मेहनत बेकार गयी ये सोच हताश भी मत होना /
            गर हो दिल में कोई सक कि नहीं मिलती मंजिल मेहनत से 
            तो सौ बार की नाकाम उस चींटी की कहानी याद कर लेना /
            के कैसे सौ बार की नाकामी इक बार की जीत से हार गई 
            तो कहाँ से उसकी सारी मेहनत बेकार गई /
            गर दिल में हो कोई सक तो याद करलेना उस कौवे को 
            जिसने दिखा दिया मेहनत से कोई क्या कर सकता है /
            कि कैसे तलहटी पर जमा पानी पत्थर से ऊपर आ सकता है /
            उसकी मेहनत से ही वो अपनी प्यास बुझाने में कामयाब हुआ 
            तो कहाँ से उसकी मेहनत बेकार गई और कहाँ से वो हताश हुआ /
            न दिखाना आलस, आलसियों के हौसले कच्चे होते हैँ 
            इक बार की कोशिश से ना मिले अंगूर लोमड़ी की कहानी की तरह खट्टे होते हैँ /
            करना हर काम पूरी लगन से दिखाना पूरा जज़्बा 
            क्यों कि कामयाब को कामयाबी भी करती है सज़्दा /
            न होना परेशान ऊपर वाला हमेशा तुम्हारे साथ है 
            मेहनत और लगन ही सौ बात की एक बात है////
            क्यों कि हर मंजिल को पाना आसान नही होता 
            जिस राह पे मुश्किलें ना हो
            हर बार उससे काम नहीं होता ''/

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